tag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post3558750131841092800..comments2023-10-25T18:48:11.155+05:30Comments on तिमिर-रश्मि: मिटे न मन की प्यासडॉ0 विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’http://www.blogger.com/profile/06377031220506773558noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-45309710863815807322011-09-23T23:27:51.211+05:302011-09-23T23:27:51.211+05:30बहुत ही खूबसूरत रचना है सर जीवन की सच्चाई बयाँ करत...बहुत ही खूबसूरत रचना है सर जीवन की सच्चाई बयाँ करती हुई। जीवन की वास्तविकता यही है लेकिन आदमी इसे स्वीकार नहीँ करना चाहता।वन की वास्तविकता यही है लेकिन आदमी इसे स्वीकार नहीँ करना चाहता।मेरी विरासतhttps://www.blogger.com/profile/12615994426395567237noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-505466736055228062011-09-22T18:05:50.961+05:302011-09-22T18:05:50.961+05:30क्या कहना शुक्ला जी !
बस एक बार पढ़ा तो बार-बार प...क्या कहना शुक्ला जी !<br />बस एक बार पढ़ा तो बार-बार पढने को मन किया ...और पढ़ा भी <br />मन तृप्त भी हुआ और अशांत भी ....<br />बहुत सुन्दर रचना..सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-91654544573657130022011-09-19T10:32:46.435+05:302011-09-19T10:32:46.435+05:30जीवन बीता चलते-चलते, गिरते-पड़ते और संभलते।
सारे व...जीवन बीता चलते-चलते, गिरते-पड़ते और संभलते।<br />सारे वाहन घर में रक्खे, अन्त चले चढ़ बांस।।<br />सहज परिवर्तन के बीच आस निखारती रचना ,बेहद सुन्दर हस्ताक्षर ,जीवन के ,परिवर्तन के .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-80621137206718636152011-09-19T10:29:49.409+05:302011-09-19T10:29:49.409+05:30जीवन बीता चलते-चलते, गिरते-पड़ते और संभलते।
सारे व...जीवन बीता चलते-चलते, गिरते-पड़ते और संभलते।<br />सारे वाहन घर में रक्खे, अन्त चले चढ़ बांस।।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-60890211201620008182011-09-19T07:05:08.863+05:302011-09-19T07:05:08.863+05:30विजय जी, बहुत हीप्यारी कविता है। बधाई स्वीकारें।...विजय जी, बहुत हीप्यारी कविता है। बधाई स्वीकारें।<br /><br />------<br /><b><a href="http://ss.samwaad.com/2011/09/blog-post_18.html" rel="nofollow">कभी देखा है ऐसा साँप?</a></b><br /><a href="http://za.samwaad.com/2011/09/blog-post_17.html" rel="nofollow">उन्मुक्त चला जाता है ज्ञान पथिक कोई..</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-65920441832114351812011-09-19T06:20:56.927+05:302011-09-19T06:20:56.927+05:30आभारआभारArun sathihttps://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-56131599122176221692011-09-18T19:34:01.112+05:302011-09-18T19:34:01.112+05:30आप सब साहित्य प्रेमियों को मेरा नमस्कार और धन्यवाद...आप सब साहित्य प्रेमियों को मेरा नमस्कार और धन्यवाद,डॉ0 विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’https://www.blogger.com/profile/06377031220506773558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-68835579458412081762011-09-17T20:43:04.326+05:302011-09-17T20:43:04.326+05:30बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
आपको हमारी ओर से
सादर ब...बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||<br /><br />आपको हमारी ओर से<br /><br />सादर बधाई ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-64623900327699912132011-09-17T19:55:57.117+05:302011-09-17T19:55:57.117+05:30जीवन बीता चलते-चलते, गिरते-पड़ते और संभलते।
सारे व...जीवन बीता चलते-चलते, गिरते-पड़ते और संभलते।<br />सारे वाहन घर में रक्खे, अन्त चले चढ़ बांस।।<br /><br />गहन भाव लिये बहुत सार्थक और सटीक रचना..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-5023763180215069852011-09-17T18:51:38.674+05:302011-09-17T18:51:38.674+05:30khubsurat rachna...khubsurat rachna...सागरhttps://www.blogger.com/profile/04586480950461229346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-6874603685128536142011-09-17T15:01:54.725+05:302011-09-17T15:01:54.725+05:30सटीक और सार्थक रचना ..सुन्दर अभिव्यक्तिसटीक और सार्थक रचना ..सुन्दर अभिव्यक्तिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-46078163990114406422011-09-17T11:59:37.098+05:302011-09-17T11:59:37.098+05:30जीवन बीता चलते-चलते, गिरते-पड़ते और संभलते।
सारे व...जीवन बीता चलते-चलते, गिरते-पड़ते और संभलते।<br />सारे वाहन घर में रक्खे, अन्त चले चढ़ बांस।।<br /><br /><br />sach me sahitya samaj ka darpan hai..badhayee aaur sadar pranam ke sathDr.Ashutosh Mishra "Ashu"https://www.blogger.com/profile/06488429624376922144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1817367729017435464.post-71095509412147198192011-09-17T11:18:19.514+05:302011-09-17T11:18:19.514+05:30! बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ! बधाई एवं शुभकामनायें...! बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ! बधाई एवं शुभकामनायें !संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com