भेद कर दुर्भेद्य धर्मावरण,
जो दे सके इंसानियत का सुबूत
वह ही युवा है।।
जब मान्यतायें रूढ़ियों में बदल जायें,
कभी की काल-सम्मत प्रथाएं
बदलते वक्त में अजगर सी जकड़ जायें,
क्षण-क्षण बदलते वक्त की आवाज
गुज़रे वक्त की खांसियों में दब जायें,
जो सिरे से इनको नकारे और करदे
इक नई शुरुआत
वह ही युवा है।।
भोग करके भोग में जो लिप्त न हो,
सत्य-सेवा का वरण करके कभी
इस दम्भ से विक्षिप्त न हो,
‘मार्ग कितना ही कठिन हो आगे बढ़ेंगे’
इस फ़ैसले के बाद कोई
जो दे सके इंसानियत का सुबूत
वह ही युवा है।।
जब मान्यतायें रूढ़ियों में बदल जायें,
कभी की काल-सम्मत प्रथाएं
बदलते वक्त में अजगर सी जकड़ जायें,
क्षण-क्षण बदलते वक्त की आवाज
गुज़रे वक्त की खांसियों में दब जायें,
जो सिरे से इनको नकारे और करदे
इक नई शुरुआत
वह ही युवा है।।
भोग करके भोग में जो लिप्त न हो,
सत्य-सेवा का वरण करके कभी
इस दम्भ से विक्षिप्त न हो,
‘मार्ग कितना ही कठिन हो आगे बढ़ेंगे’
इस फ़ैसले के बाद कोई
फ़ैसला अतिरिक्त न हो,
‘दर्द सबका दूर करना धर्म मेरा’
इस भावना से जो भरा हो
वह ही युवा है।।
जिसके क़दम प्रतिक्षण मचलते हों
किसी प्रयाण को, दर्दान्त
पर्वत-श्रेणियों पर जो थिरकते,
गतिमान करते पाषाण को,
उफनते सिन्धु पर
अठखेलियों में जो मगन हो,
गति नहीं, अवरुद्ध जल हो,
धरा हो, गगन हो,
उल्लास से भरपूर प्रतिक्षण,
हर परिस्थिति में जो मुस्कुराए
वह ही युवा है।।
-‘विजय’
‘दर्द सबका दूर करना धर्म मेरा’
इस भावना से जो भरा हो
वह ही युवा है।।
जिसके क़दम प्रतिक्षण मचलते हों
किसी प्रयाण को, दर्दान्त
पर्वत-श्रेणियों पर जो थिरकते,
गतिमान करते पाषाण को,
उफनते सिन्धु पर
अठखेलियों में जो मगन हो,
गति नहीं, अवरुद्ध जल हो,
धरा हो, गगन हो,
उल्लास से भरपूर प्रतिक्षण,
हर परिस्थिति में जो मुस्कुराए
वह ही युवा है।।
-‘विजय’
bahut kuchha seekha maine aap ki kavita se sir
जवाब देंहटाएंआपकी अभिव्यक्ति का अक्षरशः पालन करने वाला चाहे वह किसी भी वय का हो निश्चित रूप से युवा ही माना जाएगा सर! आपकी वय तथा आपकी कार्य पद्धति इसका ठोस सुबूत है
जवाब देंहटाएंयुवा की परिभाषा .........बहुत सही और सार्थक
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना का प्रवाह एवं कथ्य सम्प्रेषण अद्भुत
अहा सर जी कमाल का लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंइसे पढकर इटर में पढ़ी दो कविताएं याद आ गईं।
एक तो बच्चन जी की ..
युग के युवा मत देख दाएं और बाएं न अपनी आंख कर नीचे ...
और दूसरी हमारे वाइस चांसलर श्यामनंदन किशोर की
जवानी जिनके-जिनके पास, जमाना उनका-उनका दास!
‘दर्द सबका दूर करना धर्म मेरा’
जवाब देंहटाएंइस भावना से जो भरा हो
वह ही युवा है।।
Outstanding creation !
Very appealing and convincing message in it.
.
आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है, और कविता भी, बधाई स्वीकारें !
जवाब देंहटाएंaap sabko bahut bahut dhanyabad!!!!!
जवाब देंहटाएंआप सचमुच में ही युवा हैं डॉ.विजय जी.
जवाब देंहटाएंआपकी यह अनुपम अभिव्यक्ति बुढ़ापे में
भी जान फूंक कर युवा बंनाने की क्षमता रखती है.
शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
dhanyabad rakesh ji ,yuvaoo ke beech rah kar ek teacher sada yuva hi rahta hai.
जवाब देंहटाएं