आया फागुन आया बसंत
सूखे ठिठुरे थे जाड़े भर
वे पादप भी है बौरमंत
अनगिन पुष्पों के सौरभ से
गर्भित होकर आया बसंत |
उज्जवल बालों पिचके गालों
में भी रस भर देता बसंत
कोयल की टीस भरी बोली
पी पी पुकारती कहाँ कंत ?
आया फागुन आया बसंत |
ए कामदेव के पुष्प बाण
कोमल किसलय से सजे वृक्छ
ए मंद पवन की सुखद छुवन
ए महक-चहक़ से भरे बाग़
बच के रहना सब साधु -संत
आया फागुन आया बसंत |||
ये रंग नहीं फूल हैं ऋतुराज की ससुराल के
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!
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शानदार! बहुत ही अच्छा लिखा है। ऐसे ही लिखते रहिए। हम भी लिखते हैं हमारे लेख पढ़ने के लिए आप नीचे क्लिक कर सकते हैं।
जवाब देंहटाएंअजवाइन के फायदे
दूध से निखारें अपनी त्वचा
क्या खूब कहा आपने बहुत अच्छा कविता शेयर किया है आप ने ऐसे लिखते रहिये आप बहुत अच्छा लिख रहे है
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