गुरुतर भार था जिनके कन्धों पर
संवारने और सजाने का
नयी दिशा-नयी दृष्टि-नयी सोच से
नयी फ़सल उगाने का,
जिनसे अपेक्षा थी, विभिन्न वादों-
विवादों के भंवर से साफ़ बचाकर
निकाल ले जाने का,
जिनसे आशा थी, नवीनता के नाम पर
बौद्धिक अतिरेकता से परहेज की,
वे स्वयं आधुनिकता के नाम पर
अश्लीलता का वरण कर रहे हैं,
दुःशासन दूर खड़ा देखता है
गुरु द्रोण चीरहरण कर रहे हैं।।
-विजय
संवारने और सजाने का
नयी दिशा-नयी दृष्टि-नयी सोच से
नयी फ़सल उगाने का,
जिनसे अपेक्षा थी, विभिन्न वादों-
विवादों के भंवर से साफ़ बचाकर
निकाल ले जाने का,
जिनसे आशा थी, नवीनता के नाम पर
बौद्धिक अतिरेकता से परहेज की,
वे स्वयं आधुनिकता के नाम पर
अश्लीलता का वरण कर रहे हैं,
दुःशासन दूर खड़ा देखता है
गुरु द्रोण चीरहरण कर रहे हैं।।
-विजय
सर ! आपने तो मन की बात कह दी. कथ्य और तथ्य दोनों से पूरी तरह सहमत. आभार इस उच्च कोटि के चिंतन और प्रस्तुतीकरण के लिए.
जवाब देंहटाएंसटीक अभिव्यक्ति………………आगत विगत का फ़ेर छोडें
जवाब देंहटाएंनव वर्ष का स्वागत कर लें
फिर पुराने ढर्रे पर ज़िन्दगी चल ले
चलो कुछ देर भरम मे जी लें
सबको कुछ दुआयें दे दें
सबकी कुछ दुआयें ले लें
2011 को विदाई दे दें
2012 का स्वागत कर लें
कुछ पल तो वर्तमान मे जी लें
कुछ रस्म अदायगी हम भी कर लें
एक शाम 2012 के नाम कर दें
आओ नववर्ष का स्वागत कर लें
बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!...नववर्ष की मंगल कामना
जवाब देंहटाएंसटीक अभिव्यक्ति... सादर बधाई और
जवाब देंहटाएंनूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं
सुन्दर अभिवयक्ति....नववर्ष की शुभकामनायें.....
जवाब देंहटाएंनव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएं