स्वच्छ नीलाकाश में चिड़ियों का मस्त तिरना,
कोमल-रक्ताभ कोपलों पुष्पों के मध्य फिरना,
बचपन से मुझे लालसा के झूले में झुलाता है
निर्बन्ध-सीमाहीन दुनिया में बुलाता है।
हर रात सपने में भुजाएं तौल मैं उड़ता हूँ,
कभी श्याम, कभी स्वेत अश्व पर चढ़ता हूँ,
समुद्र की अतुल गहराइयों में मछलियों सा नग्न
आनन्द में तिरोहित और फिर स्वप्न भंग।
जीवन की आवश्यक आवश्यकताओं से दो-चार,
बेलगाम-गतिमान ख़र्चे की घोड़ी पर सवार
मन प्रलोभनों के गहरे समुद्र में गोते लगाता है,
और फिर संभलते-संभलते अन्ततः बेपर्द हो जाता है।
आदिकाल से सपने और सच्चाई का यह अन्तर,
विचारशील हृदय को रख देता है मथकर,
कैसे होंगे वे जिनके सपने सच हुए होंगे!
इस मृत्युलोक में मरणोपरान्त जो जिए होंगे।।
-विजय
कोमल-रक्ताभ कोपलों पुष्पों के मध्य फिरना,
बचपन से मुझे लालसा के झूले में झुलाता है
निर्बन्ध-सीमाहीन दुनिया में बुलाता है।
हर रात सपने में भुजाएं तौल मैं उड़ता हूँ,
कभी श्याम, कभी स्वेत अश्व पर चढ़ता हूँ,
समुद्र की अतुल गहराइयों में मछलियों सा नग्न
आनन्द में तिरोहित और फिर स्वप्न भंग।
जीवन की आवश्यक आवश्यकताओं से दो-चार,
बेलगाम-गतिमान ख़र्चे की घोड़ी पर सवार
मन प्रलोभनों के गहरे समुद्र में गोते लगाता है,
और फिर संभलते-संभलते अन्ततः बेपर्द हो जाता है।
आदिकाल से सपने और सच्चाई का यह अन्तर,
विचारशील हृदय को रख देता है मथकर,
कैसे होंगे वे जिनके सपने सच हुए होंगे!
इस मृत्युलोक में मरणोपरान्त जो जिए होंगे।।
-विजय
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
जवाब देंहटाएंतेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
आप तथा आपके परिवार के लिए नववर्ष की हार्दिक मंगल कामनाएं
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 02-01-2012 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
बाप रे..!
जवाब देंहटाएंहमारी बधाई स्वीकार करें गुरूदेव।
अर्थपूर्ण रचना ....नववर्ष की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर और अर्थपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएँ!
आदिकाल से सपने और सच्चाई का यह अन्तर,
जवाब देंहटाएंविचारशील हृदय को रख देता है मथकर,
कैसे होंगे वे जिनके सपने सच हुए होंगे!
इस मृत्युलोक में मरणोपरान्त जो जिए होंगे।।
बहुत खूब ......आप जैसे ही होंगें आप ,जैसे ही हुए होंगे.....काल जई रचना .
जीवन की आवश्यक आवश्यकताओं से दो-चार,
जवाब देंहटाएंबेलगाम-गतिमान ख़र्चे की घोड़ी पर सवार
मन प्रलोभनों के गहरे समुद्र में गोते लगाता है,
और फिर संभलते-संभलते अन्ततः बेपर्द हो जाता है।
SHUKL JI APKI YH RACHANA ANTAHKARAN KO PRABHAVIT KARTI HAI ..... ABHAR KE SATH HI NAV VARSH PR AK PRABHAVSHALI RACHANA KE LIYE BADHAI BHI.
बहुत सुंदर~~विजय जी,भावपूर्ण,अर्थपूर्ण जबरजस्त प्रस्तुति,...
जवाब देंहटाएंनया साल आपके जीवन को प्रेम एवं विश्वास से महकाता रहे,
--"नये साल की खुशी मनाएं"--
समस्त ब्लोगेर बंधुओ को नव्म्वर्ष की शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसादर.