सोमवार, 2 जनवरी 2012

दिल सपने संजोने लगेगा

मत बतावो किसी को अपनी ख़ुशख़बरी
उसको दुख होने लगेगा।
ऊपर से वह ख़ुश दिखेगा, पर
उसका अन्तर रोने लगेगा।।

अपने घाव भी मत दिखावो किसी को, वह
उसमें उंगली पिरोने लगेगा,
तुम कराहोगे-तिलमिलावोगे,
वह तानकर सोने लगेगा।

सुनी-सुनायी बातें किसी से मत करना!
वह अफ़वाहों का माला पिरोने लगेगा,
झूठ का अम्बार लग जायेगा,
सच कहीं जाके कोने लगेगा।
ख़ुशफ़हमियों में हर व्यक्ति जीता है,
अपने हर शब्द लगे गीता है,
पर तारीफ़ में सावधानी बरतिए!
दिल सपने संजोने लगेगा।।
                                                          -विजय

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