छोटे बेटे ने पूछा-
पापा! हर साल जनवरी और अगस्त में क्या होता है?
जो रेडियो-टी.वी. अच्छे गाने छोड़कर केवल रोता है?
मैं कुछ बोलूँ, इससे पहले बड़का बोला-
अरे छोटुआ! तू अभी है बहुत भोला!
इसी महीने में अंग्रेज भारत से भागे थे
और सदियों की गुलामी के बाद हम जागे थे।
छोटे ने फिर प्रश्न किया-
भइया तुम्हीं बताओ,
अंग्रेज किसलिए आये और क्यों भागे?
और तुम अच्छी नीद से क्यों जागे?
बड़े ने माथा खुजाया,
कुछ मुस्कुराया फिर बोला,
अंग्रेज आये तो थे व्यापार करने,
पर करने लगे राज, उन्होंने रेल चलाई,
पोस्ट ऑफ़िसों का जाल फैलाया,
स्कूल खोले, अस्पताल बनवाए,
अख़बार निकाला, बिजली घर बनवाए
और सिखाया हम सबको उठाना आवाज़,
फिर हमने आवाज उठाई,
चली लम्बी लड़ाई,
भगत सिंह, आज़ाद, विस्मिल
जैसे शूरवीरों ने जान दे दी,
अपना देश बन गया बलि-वेदी,
गाँधी जी लम्बी लाठी लेकर
थे सबसे आगे,
तब जाकर कहीं अंग्रेज भागे।
और इस शोर से हम सोते-सोते जागे।
छोटे का समाधान नहीं हुआ, फिर बोला-
आख़िर जब अंग्रजों ने इतना विकास किया
तो भगाने की क्या ज़रूरत थी?
क्या तब भी जाती थी इसी तरह बिजली?
क्या रोज़ रेल हादसे होते थे?
अस्पतालों के दरवाज़े पर मरीज़ रोते थे?
तब क्या ट्यूशन का बोलबाला था?
क्या रोज़ इक नया घोटाला था?
जो अब हो रहा है
क्या इसीलिए वीरों ने दी थी कुर्बानी?
क्या आज के शासकों की तरह
अंग्रेज करते थे मनमानी?
बड़कऊ ऊपर शून्य में ताकने लगा
इन अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर झांकने लगा।
मैंने सोचा कुछ बोलूँ, पर अचकचा गया,
यक्ष प्रश्नों के ज़वाब से अपने को बचा गया।।
-विजय
पापा! हर साल जनवरी और अगस्त में क्या होता है?
जो रेडियो-टी.वी. अच्छे गाने छोड़कर केवल रोता है?
मैं कुछ बोलूँ, इससे पहले बड़का बोला-
अरे छोटुआ! तू अभी है बहुत भोला!
इसी महीने में अंग्रेज भारत से भागे थे
और सदियों की गुलामी के बाद हम जागे थे।
छोटे ने फिर प्रश्न किया-
भइया तुम्हीं बताओ,
अंग्रेज किसलिए आये और क्यों भागे?
और तुम अच्छी नीद से क्यों जागे?
बड़े ने माथा खुजाया,
कुछ मुस्कुराया फिर बोला,
अंग्रेज आये तो थे व्यापार करने,
पर करने लगे राज, उन्होंने रेल चलाई,
पोस्ट ऑफ़िसों का जाल फैलाया,
स्कूल खोले, अस्पताल बनवाए,
अख़बार निकाला, बिजली घर बनवाए
और सिखाया हम सबको उठाना आवाज़,
फिर हमने आवाज उठाई,
चली लम्बी लड़ाई,
भगत सिंह, आज़ाद, विस्मिल
जैसे शूरवीरों ने जान दे दी,
अपना देश बन गया बलि-वेदी,
गाँधी जी लम्बी लाठी लेकर
थे सबसे आगे,
तब जाकर कहीं अंग्रेज भागे।
और इस शोर से हम सोते-सोते जागे।
छोटे का समाधान नहीं हुआ, फिर बोला-
आख़िर जब अंग्रजों ने इतना विकास किया
तो भगाने की क्या ज़रूरत थी?
क्या तब भी जाती थी इसी तरह बिजली?
क्या रोज़ रेल हादसे होते थे?
अस्पतालों के दरवाज़े पर मरीज़ रोते थे?
तब क्या ट्यूशन का बोलबाला था?
क्या रोज़ इक नया घोटाला था?
जो अब हो रहा है
क्या इसीलिए वीरों ने दी थी कुर्बानी?
क्या आज के शासकों की तरह
अंग्रेज करते थे मनमानी?
बड़कऊ ऊपर शून्य में ताकने लगा
इन अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर झांकने लगा।
मैंने सोचा कुछ बोलूँ, पर अचकचा गया,
यक्ष प्रश्नों के ज़वाब से अपने को बचा गया।।
-विजय
वाकयी यक्ष प्रश्न है ...
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंis prashn ko hamen hi suljhana hai, apni girebaan me dekhna hai
जवाब देंहटाएं्सही मे यक्ष प्रश्न है।
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पड़ियो के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंएक 'ग़ाफ़िल' से मुलाक़ात याँ पे हो के न हो
जो अब हो रहा है
जवाब देंहटाएंक्या इसीलिए वीरों ने दी थी कुर्बानी?
क्या आज के शासकों की तरह
अंग्रेज करते थे मनमानी?
.. yahi to sabse badi bidambana hai aaj ki..
...iske liye ham sabhi se kahin-n kahin galti huee hai, jise sudharna sabhi ke jumme hai..
bahut badiya saarthak prastuti ke liye aabhar!
जो अब हो रहा है
जवाब देंहटाएंक्या इसीलिए वीरों ने दी थी कुर्बानी?
क्या आज के शासकों की तरह
अंग्रेज करते थे मनमानी?
गहरे प्रश्न उठाये हैं आपने इस रचना के माध्यम से ....!
सचमुच, यक्ष प्रश्न उपस्थितसचमुच, यक्ष प्रश्न उपस्थित किया है आपने। किया है आपने।
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 22-08-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंसचमुच यक्ष प्रश्न...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
जो अब हो रहा है
जवाब देंहटाएंक्या इसीलिए वीरों ने दी थी कुर्बानी?
क्या आज के शासकों की तरह
अंग्रेज करते थे मनमानी?
/बिलकुल सही प्रस्तुति काले अंग्रेज ज्यादा खराब हैं गोरे अंग्रेजों से वो तो दूसरे का देश लूटने आये थे ये तो अपना ही देश लूट रहे हैं अपनी ही जनता पर अत्याचार कर रहे हैं /अपने ही देश की बर्बादी कर रहे हैं / प्रत्येक ब्यक्ति को अपनी तरफ से समर्थन देना चाहिए /भ्रष्टाचार अब ख़त्म होना ही चाहिए /क्योंकि ये जनहित के लिए बिल पास हो रहा है /अन्नाजी के माध्यम और उनके नेतृत्व में जनता जागी है /अब ये आन्दोलन सफल होना ही चाहिए / शानदार अभिब्यक्ति के लिए बधाई आपको /जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं /
आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले
" http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html"ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /